आंत्र रस के एंजाइम उपर्युक्त अभिक्रियाओं के अंतिम उत्पादों को पाचित कर अवशोषण योग्य सरल रूप में बदल देते हैं।
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आंत्र रस के एंजाइम उपर्युक्त अभिक्रियाओं के अंतिम उत्पादों को पाचित कर अवशोषण योग्य सरल रूप में बदल देते हैं।
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काइम क्षुद्रांत्र के ग्रहणी भाग में प्रवेश करता है जहाँ अग्नाशयी रस, पित्त और अंत में आंत्र रस के एंजाइमों द्वारा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का पाचन पूरा होता है।
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काइम क्षुद्रांत्र के ग्रहणी भाग में प्रवेश करता है जहाँ अग्नाशयी रस, पित्त और अंत में आंत्र रस के एंजाइमों द्वारा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का पाचन पूरा होता है।
5.
पेवलॉफ का, जिसने सबसे पहले इस विषय में अन्वेषण किए थे, मत है कि आंत्र रस के मिलने से पहले ये तीनों एंज़ाइम अपने पूर्व रूप में रहते हैं और इसी कारण निष्क्रिय होते हैं।
6.
पानी कोशिकाओं के मध्य भरा रहता है, जोकि रक्त में प्लाजा के रूप में आंत्र रस, लसिका (लिम्प), यकृत एवं बैक्ट्रीयाज के स्राव में पाया जाता है.................................